सियाराम कुमार दास
हम छि मिथिलाक किसान, किसानी हमर काम यौ
करैत छी माइटक पूजा, माइट हमर प्राण यौ
मानैत छी माइटक अपन भगवान यौ
हम छी मिथिलाक किसान, किसानी हमर काम यौ ।।
होयत वर्षा तब धोती, कुर्ता, पाग लगायब यौ
हर, कोदाइर सङ्ग खेतमे पसिना बहायब यौ
रोटी, चटनी जलखै खायब यौ
हम छी मिथिलाक किसान, किसानी हमर काम यौै।।
अषाढ साओनमे रोपिके धान, अगहनमे काटब अघन्नी धान यौ
मैथिलवासी सब मिलिकए करब लवान यौ
सब परिवारक पेट पालैल लगा देबै प्राण यौ
हम छी मिथिलाक किसान, किसानी हमर काम यौ ।।
करब माइटक माईबाप जँका सम्मान यौ
अपन खुन पसिना सऽ धर्तीक रङगायब यौ
तब उबजेबै सोना सनक धान यौ
हम छी मिथिलाक किसान, किसानी हमर काम यौ
निहुर निहुरके रोपब हम सब धान यौ
करब मिथिलाक हरियर एक समान यौ
दुनियामे करब हम नाम यौ
हम छी मिथिलाक किसान, किसानी हमर काम यौ ।।