* गजल *

प्रेम विदेह, जनकपुरधाम

 

कइली हम खेती आ पीडित परिवार भेल
नगदी उत्पादन स जिनगी उधार भेल

कइली सिंचाइ जेकर सोनित- पसेना स
फसल से धरती लागैअ परार भेल

देलिऐ हम लाखोके लग्गासब मीलके
पैली नयन दुनू नोरेके धार भेल

उपजाएल हमरे, अघाएल बइमनमा
हमर घर बडका-टा कर्जा -पहाड भेल

मीठ रस उइँखके भेल तीत जहरे
जाम नस-नस हमर, प्रान पट्ट पार भेल

कोंढीसब सपनाके कटलक निष्ठुरबा
मीलक मलिकबा – हत्यारा सरकार भेल

छोडब नइँ शत्रुके कोनो हालतमे
बदलाके भुत आब हमरो सवार भेल

(काठमाण्डूमे आन्दोलन पश्चात् जान गमौने सर्लाही जिलाक उइँख उत्पादक किसान नारायण राय यादवक स्मृतिमे ई गजल लिखल गेल अछि।)

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