सुकेशनी (मैथिली लघु कथा)

 

करुणा झा

मन्दिरमें भगवानक प्रतिमाके आगु ठाढ सुकेशनिके आँखिसँ नोर झर–झर खसई छल । तीन मास पहिलेके बात सब स्मरण होमय लागल ।

सुकेशनीके केश बड्ड सुन्दर छल जन्महिसँ । ओकर माय ओकर केशके देखिकए ओकर नाम ‘सुकेशनी’ राखने छल सुन्दर केश वाली सुकेशनी । गाम घरके विद्यालयसँ कक्षा ८ धरि पढाई केलक आ बाल्यअवस्थामें ओकर विवाह कऽ देल गेल । विआहक किछुए, दिनक बाद ओकर पतिके देहान्त भऽ गेल । सुकेशनीके सासुरके लोक कुलटा, कुलक्षणी कहि कए घरसँ बाहर कऽ देलक । एकर रुप आ केश देखिकए फेरसँ कोनो यूवक एकरा तरफ आकर्षित नहि भऽ जाय ई सोचि ओकरा केश के मुण्डन कऽ देल गेल । कुलके नाक बचाबयके नाम पर सासुरके लोग बहुत दुव्र्यवहार केलक । तखन ओ अपन जान बचा राधा कृष्ण कऽ मन्दिर में आबि कऽ भगवान कऽ सोझा प्रार्थणा कऽ रहल छल ।

राधा कृष्णक प्रेमक प्रभावसँ अचानक सुकेशनी कननाइ बन्द कएलक आ ओकरा आँखिमें नोर कऽ बदला हौसला आ हिम्मत आबि गेल । ओ प्रण केलक हम जियब आ निकसँ जियब अपन जिनगी चाहे हमरा पुरे समाजसँ लडे किया नई पडय । आ ओ हिम्मत आ हौसलाक सङ्ग, मन्दिरसँ बाहर आयल ।

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